Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -12-Apr-2022

दिल में बसे हर एक ग़म को मिटा कर

मेरा फिर से मुस्कुराने को जी चाहता है।


तोड़ कर बंदिशें इस जालिम जमाने की

फिर से यह दिल लगाने को जी चाहता है।


तहज़ीब और हया के सारे पर्दे गिरा कर

तेरी आगोश में समा जाने को जी चाहता है।


पहली मुलाकात में जैसे मदहोश हुआ था

फिर आंखों में खो जाने को जी चाहता है।


प्यार ही प्यार भरा हो जिसमें चारों ओर

सपनों से सुंदर आशियाने को जी चाहता है


हां बस यही एक मात्र अब सपना है मेरा

जिसे अब हकीकत बनाने को जी चाहता है।


   41
11 Comments

Fareha Sameen

13-Apr-2022 02:12 PM

Very nice 👍

Reply

Renu Singh"Radhe "

13-Apr-2022 01:54 PM

बहुत सुंदर रचना

Reply

Reyaan

13-Apr-2022 12:21 PM

Nice 👍🏼

Reply